ठाकरे से पवार तक: इन 5 सियासी परिवारों का भविष्य नतीजों पर टिका, कौन होगा मजबूत और कौन कमजोर?

महाराष्ट्र की 288 और झारखंड की 81 सीटों पर हुए चुनावों की मतगणना शुरू हो चुकी है। महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे बनाम उद्धव) और एनसीपी (शरद बनाम अजित) जैसे आंतरिक संघर्षों ने सियासी माहौल को और अधिक दिलचस्प बना दिया है। वहीं, झारखंड में सोरेन परिवार के दबदबे और आदिवासी अस्मिता जैसे मुद्दे प्रमुखता से सामने आए हैं।

ठाकरे परिवार: असली वारिस बनने की लड़ाई

बाल ठाकरे द्वारा स्थापित शिवसेना महाराष्ट्र की राजनीति में एक प्रमुख शक्ति रही है। लेकिन उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच संघर्ष ने इस चुनाव को असली-नकली शिवसेना की लड़ाई बना दिया है।

  • उद्धव ठाकरे:
    • बाल ठाकरे की विरासत को संभालने की कोशिश में उद्धव के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है।
  • एकनाथ शिंदे:
    • शिवसेना के बागी नेता के रूप में उभरे शिंदे के लिए यह अपनी राजनीतिक पकड़ को साबित करने का समय है।
  • राज ठाकरे और अमित ठाकरे:
    • राज ठाकरे की मनसे भी मैदान में है, और उनके बेटे अमित ठाकरे का यह पहला चुनाव है।

पवार परिवार: सत्ता का केंद्र कौन?

एनसीपी के विभाजन के बाद अजित पवार और शरद पवार के बीच सत्ता संघर्ष खुलकर सामने आ चुका है।

  • शरद पवार बनाम अजित पवार:
    • चाचा-भतीजे के बीच यह चुनाव पवार परिवार की राजनीतिक ताकत का फैसला करेगा।
  • रोहित पवार:
    • पवार परिवार की युवा पीढ़ी का प्रदर्शन भी देखने लायक होगा।

मुंडे परिवार: दबदबे की परीक्षा

गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद, परिवार की सियासी ताकत कमजोर होती दिख रही है।

  • पंकजा मुंडे:
    • पिछले चुनावों में हार के बाद पंकजा के लिए यह चुनाव खुद को पुनः स्थापित करने का मौका है।
  • धनंजय मुंडे:
    • एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे धनंजय का प्रदर्शन भी महत्वपूर्ण है।

चव्हाण परिवार: नई पीढ़ी का डेब्यू

मराठवाड़ा क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले चव्हाण परिवार की अगली पीढ़ी पहली बार चुनावी रण में उतरी है।

  • श्रीजया चव्हाण:
    • अशोक चव्हाण की बेटी का यह पहला चुनाव है, जो परिवार के भविष्य के लिए अहम साबित हो सकता है।

सोरेन परिवार: झारखंड की सियासी विरासत

झारखंड की राजनीति में सोरेन परिवार का हमेशा से दबदबा रहा है।

  • हेमंत सोरेन:
    • मुख्यमंत्री के तौर पर यह चुनाव उनके नेतृत्व की परीक्षा है।
  • परिवार के अन्य सदस्य:
    • हेमंत की पत्नी, भाभी, और भाई भी चुनाव मैदान में हैं।

निष्कर्ष:

महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव न केवल पार्टी राजनीति बल्कि कई प्रभावशाली सियासी परिवारों के भविष्य को भी तय करेंगे। ठाकरे, पवार, सोरेन, मुंडे और चव्हाण परिवारों के लिए यह चुनाव सिर्फ सत्ता हासिल करने की लड़ाई नहीं, बल्कि अपनी राजनीतिक विरासत और प्रभाव को बचाने का भी मौका है। इन चुनाव परिणामों से न केवल राज्य की बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा।

[FAQ]

Q. ठाकरे परिवार के लिए इस चुनाव का क्या महत्व है?

A. ठाकरे परिवार के लिए यह चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उद्धव ठाकरे को बाल ठाकरे की विरासत को संभालने का मौका मिलेगा, वहीं एकनाथ शिंदे के लिए यह अपनी राजनीतिक पकड़ को साबित करने का समय है।

Q. पवार परिवार में सत्ता संघर्ष के मुख्य पात्र कौन हैं?

A. पवार परिवार में मुख्य पात्र शरद पवार और अजित पवार हैं। यह चुनाव चाचा-भतीजे के बीच सत्ता संघर्ष का फैसला करेगा और पवार परिवार की राजनीतिक ताकत को भी निर्धारित करेगा।

Q. मुंडे परिवार की राजनीतिक स्थिति क्या है?

A. मुंडे परिवार की राजनीतिक ताकत गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद कमजोर होती दिख रही है। पंकजा मुंडे के लिए यह चुनाव खुद को पुनः स्थापित करने का मौका है, जबकि धनंजय मुंडे का प्रदर्शन भी महत्वपूर्ण होगा।

Q. चव्हाण परिवार की नई पीढ़ी के चुनाव में उतरने का क्या महत्व है?

A. चव्हाण परिवार की अगली पीढ़ी, विशेष रूप से श्रीजया चव्हाण का चुनाव में उतरना परिवार के भविष्य के लिए अहम साबित हो सकता है, क्योंकि यह पहली बार है जब वे चुनावी रण में आए हैं।

Q. झारखंड में सोरेन परिवार का राजनीतिक दबदबा कैसे है?

A. झारखंड की राजनीति में सोरेन परिवार का हमेशा से दबदबा रहा है। हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री के तौर पर यह चुनाव उनके नेतृत्व की परीक्षा है, और परिवार के अन्य सदस्य भी चुनाव मैदान में हैं।

Leave a Comment