प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शतरंज खिलाड़ियों से की मुलाकात, भारत की ऐतिहासिक डबल गोल्ड जीत की सराहना की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में भारत के शतरंज CHESS खिलाड़ियों से मुलाकात की और उनकी ऐतिहासिक उपलब्धियों की भूरी-भूरी प्रशंसा की। यह मुलाकात उस समय हुई जब भारतीय शतरंज खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन कर भारत के लिए दो स्वर्ण पदक जीते। प्रधानमंत्री मोदी ने खिलाड़ियों की मेहनत, समर्पण और खेल के प्रति उनकी निष्ठा की सराहना की और इसे पूरे देश के लिए गर्व का क्षण बताया।
इस ऐतिहासिक जीत ने भारत को शतरंज की दुनिया में एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि न केवल खिलाड़ियों की व्यक्तिगत जीत है, बल्कि पूरे देश की सफलता है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस जीत से भारतीय युवाओं को प्रेरणा मिलेगी कि कैसे एकाग्रता, धैर्य और रणनीति से बड़ी से बड़ी चुनौतियों को पार किया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने खिलाड़ियों के साथ अपने संवाद में उनके भविष्य के लक्ष्यों और योजनाओं के बारे में भी चर्चा की और उन्हें हर संभव समर्थन देने का आश्वास
इस मुलाकात ने न केवल शतरंज खिलाड़ियों को बल्कि पूरे देश को उत्साहित किया है, और यह उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में भारतीय खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी बड़ी सफलताएं हासिल करेंगे।
रविवार को भारत ने इतिहास रचा जब पुरुषों की टीम ने स्लोवेनिया को और महिलाओं की टीम ने अजरबैजान को फाइनल राउंड में हराकर प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। पुरुषों की प्रतियोगिता में डी गुकेश, अर्जुन एरिगैसी और आर प्रज्ञानानंदा ने 11वें और अंतिम राउंड में निर्णायक जीत हासिल की।
पहले, खेल मंत्रालय ने भारतीय शतरंज दल का एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्हें अपने होटल से निकलते और प्रधानमंत्री से मिलने जाते हुए देखा गया।
भारतीय पुरुष शतरंज टीम ने बुडापेस्टभारतीय पुरुष शतरंज टीम ने बुडापेस्ट में शानदार प्रदर्शन किया, जहां उन्होंने 22 में से 21 अंक हासिल किए। उन्होंने केवल एक मैच में उज़्बेकिस्तान के खिलाफ 2-2 से ड्रॉ किया, जबकि बाकी सभी मुकाबलों में अपने प्रतिद्वंद्वियों को हराया। यह जीत भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, जिसमें दोनों पुरुष और महिला टीमों ने अपनी उत्कृष्टता का परिचय देते हुए स्वर्ण पदक हासिल किए।
इस डबल ट्रायंफ का भारतीय शतरंज पर क्या असर होगा?
यह ऐतिहासिक जीत भारतीय शतरंज के लिए मील का पत्थर साबित हुई है। इससे न केवल खिलाड़ियों में आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि शतरंज के प्रति देश में उत्साह और समर्थन को भी बढ़ावा मिला है। यह जीत भारत को अंतरराष्ट्रीय शतरंज मानचित्र पर और मजबूती से स्थापित करती है।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि के पीछे क्या था?
इस सफलता के पीछे कई वर्षों की मेहनत, खिलाड़ियों का समर्पण, और देश में शतरंज के प्रति बढ़ती रुचि का परिणाम है। डी गुकेश, आर प्रज्ञानानंदा, और अर्जुन एरिगैसी जैसे युवा खिलाड़ियों ने विशेष रूप से मजबूत प्रदर्शन किया, जबकि अनुभवी खिलाड़ियों विदित गुजराठी और पी हरिकृष्णा ने टीम की संतुलन बनाए रखा। भारत में शतरंज की जड़ों को मजबूत करने के लिए अब प्रशिक्षकों और संसाधनों में निवेश करने की आवश्यकता है। खेल का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार और बच्चों को शतरंज में शामिल करने के कार्
भारत इस सफलता को कैसे आगे बढ़ा सकता है?
भारत अब इस जीत का लाभ उठाकर शतरंज के प्रति जागरूकता बढ़ा सकता है और खेल के विकास के लिए नई नीतियां बना सकता है। युवाओं के लिए अधिक टूर्नामेंट आयोजित करने, प्रशिक्षण शिविरों की संख्या बढ़ाने, और स्कूलों में शतरंज को शामिल करने से खेल की पहुंच और भी अधिक व्यापक हो सकती है। इस जीत ने साबित कर दिया है कि भारत में शतरंज की प्रतिभा अद्वितीय है, और भविष्य में और भी बड़ी उपलब्धियों की उम्मीद की जा सकती है।