पूर्व भारतीय क्रिकेटर नीतू डेविड 16 अक्टूबर को आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल होकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर चुकी हैं। वह डायना एडुल्जी के बाद इस सम्मान को प्राप्त करने वाली दूसरी भारतीय महिला बनीं। नीतू ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए 1995 से 2008 तक अपनी सेवाएं दीं, जिसमें उन्होंने 10 टेस्ट मैच और 97 एकदिवसीय (वनडे) मैच खेले। उनकी शानदार गेंदबाजी के चलते उन्हें क्रिकेट इतिहास में एक विशेष स्थान प्राप्त हुआ है, खासकर अपने बाएं हाथ की स्पिन गेंदबाजी के लिए।
नीतू डेविड का नाम 16 अक्टूबर को आईसीसी द्वारा घोषित किया गया, जब उन्हें इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलेस्टेयर कुक और दक्षिण अफ्रीका के एबी डिविलियर्स के साथ इस प्रतिष्ठित सूची में शामिल किया गया। आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल होना किसी भी क्रिकेटर के लिए बहुत बड़ा सम्मान है, और नीतू ने भारतीय क्रिकेट में अपने योगदान के माध्यम से यह मुकाम हासिल किया है।
नीतू की इस उपलब्धि के साथ, वह उन महान महिला क्रिकेटरों की श्रेणी में शामिल हो गई हैं जिनका खेल के प्रति समर्पण और योगदान उल्लेखनीय रहा है। इस सूची में पहले से ही कुछ प्रमुख महिला क्रिकेटरों के नाम हैं, जैसे कि लिसा स्टालेकर, डेबी हॉकले, एनिड बेकवेल, बेलिंडा क्लार्क और राचेल हेहो-फ्लिंट।
नीतू डेविड की यह उपलब्धि न केवल भारतीय क्रिकेट के लिए गर्व की बात है, बल्कि यह महिला क्रिकेटरों के बढ़ते प्रभाव और खेल में उनके योगदान को सम्मानित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। उनका समर्पण और खेल के प्रति जुनून नई पीढ़ी की महिला क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
पूर्व भारतीय क्रिकेटर नीतू डेविड ने आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल होने के बाद अपने भावुक विचार साझा किए। आईसीसी के एक बयान में उन्होंने कहा, “आईसीसी हॉल ऑफ फेम में शामिल होना वास्तव में मेरे लिए अत्यधिक सम्मान की बात है। मैं इसे राष्ट्रीय टीम की जर्सी पहनने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए उपलब्ध सर्वोच्च सम्मान मानती हूं। यह मेरे लिए एक बहुत ही विशेष यात्रा रही है, जो खेल के प्रति जीवन भर के समर्पण और कड़ी मेहनत का परिणाम है।”
नीतू ने अपनी इस उपलब्धि के लिए भारतीय क्रिकेट और अपनी टीम को धन्यवाद दिया और कहा कि यह सम्मान न केवल व्यक्तिगत रूप से उनके लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सभी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। उन्होंने अपने पूरे करियर में इस महान खेल के प्रति समर्पण बनाए रखा, जिसने उन्हें इस प्रतिष्ठित मुकाम तक पहुंचाया।
उन्होंने आगे कहा कि क्रिकेट ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है और जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता को समझने में मदद की है। नीतू के अनुसार, “यह सम्मान न केवल मेरे लिए है, बल्कि उन सभी खिलाड़ियों और समर्थकों के लिए भी है, जिन्होंने मेरे क्रिकेट करियर में योगदान दिया।”
नीतू डेविड का यह बयान उनके विनम्र और प्रेरणादायक व्यक्तित्व को दर्शाता है, जो अपने खेल के प्रति गहरा समर्पण रखती हैं। उन्होंने न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर महिला क्रिकेट में अपनी जगह बनाई है। उनके इस उपलब्धि पर गर्व करते हुए, उन्होंने उन सभी को प्रेरित किया है जो क्रिकेट के माध्यम से कुछ बड़ा हासिल करने का सपना देखते हैं।
इस बयान के साथ, नीतू ने स्पष्ट किया कि यह सम्मान उनके लिए केवल व्यक्तिगत नहीं है, बल्कि उनके पूरे क्रिकेटिंग करियर और उससे जुड़े हर व्यक्ति के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
नीतू डेविड का शानदार करियर
नीतू डेविड का क्रिकेट करियर भारतीय महिला क्रिकेट के इतिहास में बेहद खास है। उन्होंने 1995 में न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की और 13 वर्षों तक भारतीय टीम का हिस्सा रहीं। डेविड ने 10 टेस्ट और 97 एकदिवसीय मैच खेले, और सितंबर 2008 में न्यूजीलैंड (व्हाइट फर्न्स) के खिलाफ एकदिवसीय मैच के साथ अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मुकाबला खेला।
नीतू डेविड टेस्ट क्रिकेट में भारत की सबसे सफल गेंदबाजों में से एक हैं, और वह भारतीय महिला टेस्ट मैचों में सर्वाधिक विकेट लेने वाली खिलाड़ियों की सूची में चौथे स्थान पर हैं। उन्होंने कुल 41 विकेट हासिल किए, जो डायना एडुल्जी (63), शुभांगी कुलकर्णी (60), और झूलन गोस्वामी (44) के बाद आता है। उनके गेंदबाजी कौशल का एक और बड़ा मील का पत्थर 1995 में इंग्लैंड के खिलाफ जमशेदपुर में था, जब वह महिला टेस्ट क्रिकेट में आठ विकेट लेने वाली पहली भारतीय गेंदबाज बनीं। उन्होंने उस मैच में 31.3 ओवर में 53 रन देकर आठ विकेट लिए थे, जो आज भी भारतीय महिला क्रिकेट में किसी गेंदबाज द्वारा टेस्ट मैच में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन का रिकॉर्ड है।
वनडे क्रिकेट में भी नीतू डेविड का योगदान उल्लेखनीय है। उन्होंने 2.82 की शानदार इकॉनमी रेट के साथ 141 विकेट लिए, जिससे वह भारत के लिए सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाली महिला वनडे गेंदबाजों की सूची में दूसरे स्थान पर हैं। उनके वनडे करियर में चार बार चार विकेट और दो बार पांच विकेट लेने का कीर्तिमान शामिल है।
नीतू डेविड की क्रिकेट में भूमिका उनके खेल के बाद भी खत्म नहीं हुई। 2020 में, उन्हें भारतीय महिला टीम के चयनकर्ताओं के अध्यक्ष के रूप में नामित किया गया, और उन्होंने महिला टी20 विश्व कप के लिए भारतीय टीम का चयन भी किया था।