सूर्यकुमार से नंबर 3 की जगह पाई जब तिलक वर्मा ने खुद से यह कहा कि वह नंबर 3 पर खेलना चाहते हैं, तब उन्हें लगातार हाथ की चोटों ने कुछ महीनों पहले जिम्बाब्वे और श्रीलंका के टी20आई टूर्स से बाहर रखा था। जब तक वे ठीक हुए, तब तक उनकी स्थिति टीम में नीचे आ गई थी। बांग्लादेश के टी20आई सीरीज के लिए भी वे मूल स्क्वाड में नहीं थे, लेकिन शिवम दुबे की पीठ की चोट के बाद उन्हें देर से शामिल किया गया था। हालांकि, उस सीरीज में तिलक को खेलने का मौका नहीं मिला।
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वापसी
दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वर्तमान असाइनमेंट ने तिलक की भारत के रंगों में वापसी का प्रतीक बनाया। उन्होंने डुर्बन के पहले टी20आई में 18 गेंदों पर 33 रन बनाए, लेकिन ग्केबराहा में केवल 20 रन ही बनाए। यह प्रदर्शन उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
सेंचुरियन में तिलक का अद्वितीय प्रदर्शन
सेंचुरियन में तीसरे मैच में तिलक ने दबाव में रहते हुए भी बेहतरीन प्रदर्शन किया। अगर उन्होंने खुद यह नहीं कहा होता, तो शायद कोई अंदाजा नहीं लगा पाता कि वे इतना जबरदस्त प्रदर्शन करेंगे। बुधवार को उन्होंने 56 गेंदों पर बिना आउट हुए 107 रन बनाए, जिसमें 8 चौके और 7 छक्के थे। इस शतक ने भारत को 219/6 पर पहुंचाया, जिससे उन्हें 4 मैचों की सीरीज में 2-1 की अजेय बढ़त मिली।
टी20आई में सबसे युवा शतक बनाने वाले
22 वर्ष और 5 दिनों की उम्र में तिलक वर्मा टी20आई में शतक बनाने वाले दूसरे सबसे युवा खिलाड़ी बने। उनके इस प्रदर्शन में उनकी परिपक्वता स्पष्ट झलकती है, जिसने खेल की गति को बदल दिया।
नंबर 3 पर आने का फैसला
पहले दो टी20आई में तिलक ने नंबर 4 पर बल्लेबाजी की थी। लेकिन यहां, संजू सैमसन के लगातार आउट होने के बाद और रात की शुरुआत में तिलक ने नंबर 3 पर आकर अपनी जगह बनाई। भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने बाद में कहा कि यह अचानक निर्णय नहीं था। “ग्केबराहा में, उन्होंने मेरे कमरे में आकर कहा, ‘मुझे नंबर 3 पर बल्लेबाजी का मौका दें। मुझे खुद को व्यक्त करने दें।'”
सूर्यकुमार का समर्थन और प्रेरणा
सूर्यकुमार ने तिलक को मौका देने में कोई देरी नहीं की। मंगलवार की रात उन्होंने तिलक से कहा, “तुम नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने जा रहे हो… खुद को व्यक्त करो।” इस समर्थन ने तिलक को बेहतरीन प्रदर्शन करने में मदद की।
मुकाबले का विश्लेषण
तिलक ने मार्चो जेनसन पर आक्रमण करते हुए अपनी बल्लेबाजी की शुरुआत की। उन्होंने दूसरी गेंद पर पॉइंट के पार चौका मारते हुए छक्का लगाया। हालांकि पिच थोड़ी धीमी थी, तिलक ने अपनी गति और शैली से खेल को बदल दिया। उनके शतक ने भारत की पारी को मजबूत किया और टीम को जीत की ओर अग्रसर किया।
तिलक का महत्व और उत्सव
तिलक ने 51 गेंदों पर अपना शतक बनाया और उसे मनाने के लिए इशारा किया – और फिर भारतीय डगआउट की ओर एक चुंबन उड़ाया। उन्होंने कहा, “मैं अपने भावनाओं को शब्दों में नहीं बयां कर सकता। देश के लिए शतक मारना मेरा सपना था और मैंने इस पल का लंबे समय से इंतजार किया था।”
सूर्यकुमार की प्रशंसा
सूर्यकुमार ने तिलक की प्रशंसा करते हुए कहा, “मैं जानता था कि वह क्या कर सकते हैं, और उन्होंने वही किया। आगे बढ़ते हुए, वह निश्चित रूप से नंबर 3 पर बल्लेबाजी करेंगे। उन्होंने इसे मांगा; उन्होंने इसे पूरा किया; उन्होंने इसे अर्जित किया।”
भविष्य की संभावनाएं
तिलक वर्मा का यह प्रदर्शन उनकी क्रिकेट करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। चोटों से उबरने के बाद उन्होंने न केवल अपनी जगह बनाई बल्कि एक शानदार शतक भी बनाया। यह उनकी मेहनत और समर्पण का परिणाम है, जो भविष्य में उन्हें और भी ऊँचाइयों तक ले जाएगा।
इस प्रकार, तिलक वर्मा ने न सिर्फ अपनी चोटों से उबरकर वापसी की, बल्कि अपनी बेहतरीन बल्लेबाजी के साथ टीम को महत्वपूर्ण जीत दिलाई। उनकी यह उपलब्धि न सिर्फ उनके व्यक्तिगत कौशल को दर्शाती है, बल्कि टीम में उनकी महत्वता को भी साबित करती है। भविष्य में उनके और भी सफलताओं की उम्मीद है, जो भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी।