आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में, जहां छोटी-छोटी नीतियां भी बड़ा असर डालती हैं, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान खींचा है। फ्लोरिडा में गोल्फ खेलने के बाद वाशिंगटन लौटते समय एयरफोर्स वन में मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, “कभी-कभी किसी चीज को ठीक करने के लिए आपको दवा लेनी पड़ती है।” उनका इशारा अमेरिका और वैश्विक वित्तीय बाजारों में गिरावट की ओर था, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी टैरिफ योजना से पीछे हटने का कोई संकेत नहीं दिया।
वैश्विक बाजारों में गिरावट, लेकिन ट्रंप अड़े रहे
ट्रंप के इस बयान का मतलब है कि वह अमेरिका की व्यापार नीति में सख्ती को देश के हित में मानते हैं। उन्होंने साफ किया कि अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों ने दशकों तक अमेरिका के साथ गलत व्यवहार किया है और अब इसका मुंहतोड़ जवाब देने का समय आ गया है। उनके मुताबिक, पूर्व अमेरिकी सरकारों, खासकर जो बिडेन के नेतृत्व वाली सरकारों की नीतियों के कारण अमेरिका कमजोर हुआ।
उन्होंने कहा, “दूसरे देशों ने हमारे साथ बहुत बुरा व्यवहार किया क्योंकि हमारे पास एक मूर्ख नेतृत्व था जिसने ऐसा होने दिया।” उन्होंने यह बात खास तौर पर चीन, यूरोप और अन्य व्यापारिक साझेदारों के संदर्भ में कही, जिन पर उन्होंने हाल ही में 34% तक टैरिफ लगाने की घोषणा की थी।
“देश अब मजबूत है”
जब ट्रंप से पूछा गया कि बाजारों में भारी गिरावट को वह किस तरह देखते हैं, तो उन्होंने कहा, “मैं यह नहीं कह सकता कि बाजारों का क्या होगा, लेकिन हमारा देश अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत है।” यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिकी शेयरों का मूल्य करीब 6 ट्रिलियन डॉलर कम हो गया है।
उनका आत्मविश्वास दर्शाता है कि वह अर्थव्यवस्था में अल्पकालिक झटकों को नजरअंदाज करते हुए दीर्घकालिक लाभ की ओर देख रहे हैं। उनका मानना है कि व्यापार नीतियों में सख्ती अमेरिका को दीर्घकालिक सुरक्षा और संतुलन प्रदान करेगी, भले ही इसका प्रभाव शुरुआत में नकारात्मक हो।
“विश्व नेता सौदे के लिए बेताब हैं”
ट्रंप ने आगे कहा कि उन्होंने सप्ताहांत में इस मुद्दे पर कई विश्व नेताओं से बात की और दावा किया कि “वे सौदे के लिए बेताब हैं।” यह एक बड़ा दावा है, क्योंकि दुनिया भर के देशों के साथ व्यापार संबंध अक्सर महीनों या सालों में बनते और टूटते हैं। लेकिन ट्रंप की शैली हमेशा से ही सीधी और टकराव वाली रही है और वह इसी शैली को अपना सबसे बड़ा हथियार मानते हैं।
आर्थिक सलाहकारों की राय: “घबराने की जरूरत नहीं है”
दूसरी ओर, ट्रंप की आर्थिक टीम ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के शीर्ष आर्थिक अधिकारी निवेशकों में फैल रही मंदी और मुद्रास्फीति की चिंताओं को खारिज कर रहे हैं।
वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने एक साक्षात्कार में कहा, “टैरिफ निश्चित रूप से आएंगे; राष्ट्रपति ने इसकी घोषणा की है और वह मजाक नहीं कर रहे थे।” वहीं, ट्रेजरी सचिव स्कॉट बेसेंट ने एनबीसी को बताया कि 50 से अधिक देशों ने बातचीत के लिए ट्रंप प्रशासन से संपर्क किया है, लेकिन किसी भी बातचीत में समय लगेगा।
बेसेंट ने कहा, “वे देश कई सालों से बुरा व्यवहार कर रहे हैं। यह ऐसी चीज नहीं है जिसे आप कुछ दिनों या हफ्तों में हल कर सकते हैं। हमें आगे का रास्ता देखना होगा। आप 20, 30 या 50 साल के बुरे व्यवहार को एक बार में मिटा नहीं सकते।”
निष्कर्ष: “दवा कड़वी हो सकती है, लेकिन ज़रूरी है”
डोनाल्ड ट्रंप के बयान और उनके इरादों से पता चलता है कि वे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए कड़े कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। वैश्विक बाज़ार में गिरावट हो या आलोचना—उनकी प्राथमिकता देश के दीर्घकालिक हित हैं। उनका मानना है कि ‘कभी-कभी इलाज के लिए कड़वी दवा ज़रूरी होती है’ और यह सोच उनकी टैरिफ़ योजनाओं में झलकती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में उनकी रणनीति अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक व्यापार संबंधों को किस तरह प्रभावित करती है। लेकिन अभी के लिए, यह तय है कि ट्रंप किसी भी दबाव में झुकने वाले नेता नहीं हैं- और उनकी ‘अमेरिका फ़र्स्ट’ नीति अभी भी पूरी तरह से जीवित है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q. ट्रंप ने “कड़वी दवा” कहकर क्या मतलब निकाला?
A. उन्होंने अमेरिका की आर्थिक हालत सुधारने के लिए कड़े फैसले ज़रूरी बताए — जैसे कि ऊँचे टैरिफ़ (शुल्क) लगाना। भले ही इसका असर बाज़ार पर नकारात्मक हो, लेकिन वे इसे दीर्घकालिक फायदेमंद मानते हैं।
Q. क्या ट्रंप वैश्विक बाज़ार में गिरावट से चिंतित हैं?
A. नहीं, उन्होंने साफ कहा कि वे शेयर बाज़ार की गिरावट से नहीं डरते और देश अब पहले से ज्यादा मजबूत है।
Q. ट्रंप किन देशों पर टैरिफ़ बढ़ा रहे हैं और क्यों?
A. उन्होंने चीन, यूरोप और अन्य व्यापारिक साझेदारों पर 34% तक टैरिफ़ लगाने की बात कही है। उनका मानना है कि ये देश अमेरिका के साथ सालों से गलत व्यवहार कर रहे हैं।
Q. क्या बाकी देशों ने ट्रंप से बातचीत की है?
A. हां, ट्रंप और उनके सलाहकारों का दावा है कि 50 से ज्यादा देश उनसे व्यापार समझौतों को लेकर संपर्क कर चुके हैं। अमेरिका के लिए फायदेमंद हैं?
Q. क्या ट्रंप की नीतियां सिर्फ अमेरिका के लिए फायदेमंद हैं?
A. उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का मकसद अमेरिका को दीर्घकालिक रूप से मज़बूत बनाना है, भले ही शुरुआत में बाकी देशों को या खुद अमेरिका को थोड़ा नुकसान उठाना पड़े।