Virat Kohli recited ‘Om Namah Shivay’ before every ball in the series where he scored ‘heaps of runs’.

Virat Kohli recited ‘Om Namah Shivay’ before every ball in the series where he scored ‘heaps of runs’.

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भारत के मुख्य कोच ने विराट कोहली के साथ बातचीत के दौरान खुलासा किया कि 2014-15 में ऑस्ट्रेलिया के दौरे के दौरान इस स्टार बल्लेबाज ने लगातार ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र का जाप किया था। इस मंत्र का जाप करते हुए विराट ने पूरे दौरे में अपनी मानसिक स्थिरता बनाए रखी, जिससे उन्हें मैदान पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली।

इस खुलासे के बाद गौतम गंभीर और विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट में ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट में ध्यान और मानसिक मजबूती

इस खुलासे के बाद गौतम गंभीर और विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट में ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट में ध्यान और मानसिक मजबूती सबसे बड़ी भूमिका निभाते हैं, क्योंकि यह खेल लंबा चलता है और हर गेंद पर खिलाड़ी को पूरी तरह से तैयार रहना पड़ता है।

विराट ने बताया कि ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप उनके लिए मानसिक संतुलन बनाए रखने का एक तरीका था, जिससे उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने में मदद मिली।

एक खास इंटरव्यू में, जो भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के लिए किया गया था, गौतम गंभीर और विराट कोहली ने एक-दूसरे के साथ अपनी करियर की यात्रा पर खुलकर बातचीत की। इस चर्चा में उन्होंने अपने करियर के उतार-चढ़ाव, सफलता के क्षण, और भारत के शीर्ष क्रिकेटर के रूप में अपनी व्यक्तिगत विशेषताओं पर भी बात की।

गंभीर और कोहली ने इस बात पर जोर दिया कि क्रिकेट में सफलता के लिए सिर्फ शारीरिक तैयारी ही नहीं, बल्कि मानसिक ध्यान और एकाग्रता भी बेहद जरूरी है। इस बातचीत से यह साफ हुआ कि विराट

इस बातचीत से यह साफ हुआ कि विराट कोहली के लिए ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप, न सिर्फ उनका आध्यात्मिक सहारा था, बल्कि एक मानसिक तकनीक भी थी, जो उन्हें हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार करती थी।

गौतम गंभीर ने अपनी बातचीत को याद करते हुए बताया कि उन्होंने विराट कोहली के साथ ऑस्ट्रेलिया में खेले गए चर्चित टेस्ट सीरीज में उनके शानदार फॉर्म के बारे में चर्चा की थी। इस बातचीत के दौरान, गंभीर ने उस सुनहरे दौर और 2009 में न्यूजीलैंड के खिलाफ नेपियर में खेले गए टेस्ट मैच की अपनी मैच-बचाने वाली पारी के बीच समानताओं पर भी बात की।

भारत के मुख्य कोच गंभीर ने बताया कि नेपियर में जब उन्होंने ढाई दिन तक क्रीज़ पर टिककर वह मैच बचाया था, तब वह लगातार ‘हनुमान चालीसा’ सुन रहे थे।

 गंभीर ने इस अनुभव को विराट कोहली के साथ साझा किया:

यह दर्शाते हुए कि दोनों के लिए आध्यात्मिकता और भक्ति ने खेल के महत्वपूर्ण क्षणों में मानसिक शांति प्रदान की, जिससे वे बड़ी पारियां खेलने में सक्षम हुए। यह बातचीत क्रिकेट के मानसिक पहलुओं और खिलाड़ियों

विराट कोहली ने बातचीत की शुरुआत करते हुए गौतम गंभीर से पूछा कि 2008 में नई दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए टेस्ट मैच में उनकी शानदार दोहरी शतकीय पारी के दौरान उन्हें किस चीज़ ने मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा।

गंभीर इस सवाल का जवाब देने के लिए उत्सुक थे और उन्होंने 2014-15 के ऑस्ट्रेलिया दौरे में विराट कोहली के यादगार प्रदर्शन को याद किया। विराट ने कहा, “आइए, भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के कुछ खास पलों के बारे में बात करते हैं। सबसे खास तो वह दोहरी शतकीय पारी होगी

गंभीर ने इस अनुभव को विराट कोहली के साथ साझा किया:
गंभीर ने इस अनुभव को विराट कोहली के साथ साझा किया:

विराट ने कहा, “आइए, भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज के कुछ खास पलों के बारे में बात करते हैं। सबसे खास तो वह दोहरी शतकीय पारी होगी, जो आपने अपने घरेलू मैदान पर खेली। मैं कोहनी के बारे में बात नहीं करूंगा, क्योंकि मुझे लगता है कि मुझे पता है कि वह कोहनी क्यों चली थी (गंभीर द्वारा शेन वॉटसन को कोहनी मारने की घटना)।

मैं इस पारी की मानसिकता के बारे में बात करना चाहता हूं। ऐसा क्या था, जिसने आपको ज़मीन से जुड़े रहने और स्थिर बने रहने में मदद की?” विराट कोहली ने गंभीर से पूछा।

“मुझे नहीं लगता कि मैं कभी भी ऐसा दोबारा कर पाऊंगा। उन ढाई दिनों तक मैंने बस एक ही काम किया, और वो था ‘हनुमान चालीसा’ सुनना। मेरे लिए उस विशेष मानसिक स्थिति में आना, जैसे तुम ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करते हुए वहां पहुंचे, वैसे ही मैंने ‘हनुमान चालीसा’ सुनकर खुद को उस ज़ोन में पहुंचाया।

करियर में कुछ ही बार ऐसा होता है जब आप उस खास मानसिक स्थिति में पहुंच पाते हो। उस स्थिति में होना, एक दिव्यता की तरह होता है। मुझे याद है जब मैं नेपियर में पांचवे दिन बल्लेबाजी कर रहा था, उस वक्त लक्ष्मण ने मुझे बताया।

पहले सेशन के बाद जब मैं वापस आ रहा था, उन्होंने कहा, ‘क्या तुम्हें पता है कि तुमने पिछले दो घंटों में एक भी शब्द नहीं बोला, यहां तक कि ओवर्स के बीच भी नहीं।’ तब मुझे एहसास हुआ कि मैंने सच में कुछ नहीं कहा।

ओवर्स के बीच में मैं बस सिर हिलाता था और खेलने पर ध्यान केंद्रित करता था, और जब मैं वापस आता, तो हनुमान चालीसा लगाकर सुनता था। उन ढाई दिनों में, मैं पूरी तरह से एक अलग ही मानसिक स्थिति में था। मुझे यकीन है कि तुमने मुझसे कहीं ज्यादा बार ऐसा अनुभव किया होगा।

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