गर्मियों का मौसम या सूखा मौसम आमतौर पर लोगों को राहत देने वाला लगता है, लेकिन कई लोगों के लिए यह मौसम एक नई परेशानी लेकर आता है—एलर्जी। चाहे बाहर बारिश हो या नहीं, सूखे मौसम में भी छींक आना, नाक बहना, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। इस परेशानी के पीछे अक्सर दो बड़े कारण होते हैं—धूल (Dust) और परागकण (Pollen)।
तो सवाल यह उठता है—जब बारिश नहीं हो रही, फूल नहीं खिल रहे, तब आखिर यह एलर्जी क्यों हो रही है? आइए डॉक्टर्स की राय के साथ समझते हैं इस समस्या का कारण, लक्षण और उसका इलाज।
1. सूखे मौसम में एलर्जी क्यों होती है?
डॉक्टर्स के मुताबिक, सूखे मौसम में हवा में नमी की मात्रा बेहद कम होती है। ऐसे में धूल और मिट्टी के कण हवा में लंबे समय तक तैरते रहते हैं। अगर आसपास पेड़-पौधे हैं, तो उनमें से परागकण (Pollen) भी हवा में घुल जाते हैं। ये सूक्ष्म कण हमारी नाक, आंख और फेफड़ों में पहुंचकर एलर्जी का कारण बनते हैं।
इसके अलावा, घर के अंदर इस्तेमाल होने वाली चीजें जैसे कि कारपेट, पर्दे, बिस्तर, पालतू जानवरों के बाल, ये सब डस्ट माइट्स (Dust Mites) के ठिकाने होते हैं, जो सूखे मौसम में और ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं।
2. Pollen और Dust Allergy के लक्षण क्या हैं?
एलर्जी के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति में थोड़े अलग हो सकते हैं, लेकिन आमतौर पर ये लक्षण देखे जाते हैं:
- लगातार छींक आना
- नाक का बहना या बंद होना
- आंखों में जलन या पानी आना
- गले में खराश या खिचखिच
- खांसी, विशेषकर सुबह के समय
- सिरदर्द या थकावट
- नींद में खलल
3. किन लोगों को ज्यादा खतरा होता है?
- बच्चे और बुजुर्ग, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है
- जिन लोगों को पहले से अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या साइनस की समस्या है
- पालतू जानवर रखने वाले लोग
- ऐसे लोग जो अक्सर बाहर जाते हैं, जैसे सफाईकर्मी, निर्माण स्थल के मजदूर
- वे लोग जो खुली खिड़कियों के साथ सोते हैं, जिससे बाहर की धूल अंदर आती है
4. डॉक्टर्स क्या सलाह देते हैं? (इलाज और रोकथाम)
एलर्जी टेस्ट कराएं
अगर बार-बार एलर्जी हो रही है तो डॉक्टर्स Skin Prick Test या Blood Test (IgE level) की सलाह देते हैं, जिससे यह पता चलता है कि किस चीज से एलर्जी हो रही है।
एलर्जी से बचाव के उपाय
- मास्क पहनें जब बाहर जाएं
- घर की सफाई नियमित करें – खासकर पंखे, पर्दे, कारपेट
- एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें
- खिड़कियां बंद रखें जब धूल भरी आंधी हो
- पालतू जानवरों को साफ रखें और उन्हें बिस्तर पर ना आने दें
दवाइयों का सेवन
- डॉक्टर्स अक्सर एंटीहिस्टामिन (Anti-Allergy) दवाएं जैसे Cetirizine, Loratadine, या Levocetirizine देते हैं
- गंभीर मामलों में नाक में स्प्रे (Nasal Steroid) या इन्हेलर की सलाह दी जाती है
- प्राकृतिक उपायों में भाप लेना, हल्दी वाला दूध, या नमक वाले गुनगुने पानी से गरारे मदद कर सकते हैं
5. प्राकृतिक उपचार (Home Remedies)
- भाप लेना (Steam Inhalation): नाक साफ करने और सांस की नली खोलने में मदद करता है
- शहद और अदरक: इम्यूनिटी बढ़ाता है और गले को राहत देता है
- हल्दी-दूध: एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं
- तुलसी और काली मिर्च की चाय: कफ और छींक में राहत देती है
6. कब डॉक्टरी सलाह जरूरी है?
अगर एलर्जी के लक्षण लगातार बने हुए हैं और घरेलू उपायों या दवाइयों से राहत नहीं मिल रही है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर आपको सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न, या तेज बुखार हो रहा है, तो यह एलर्जी से ज्यादा गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है।
निष्कर्ष
सूखा मौसम भले ही आरामदायक लगे, लेकिन इसके साथ ही धूल और परागकण से जुड़ी एलर्जी लोगों को काफी परेशान कर सकती है। सही जानकारी, समय पर सावधानी और उचित इलाज से इस एलर्जी को काबू में रखा जा सकता है।
अगर आप या आपके घर में कोई एलर्जी से परेशान है, तो बेहतर होगा कि आप रोजमर्रा की आदतों में थोड़ा बदलाव करें, जैसे मास्क पहनना, घर की सफाई रखना और इम्यूनिटी को मजबूत करना। साथ ही, जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. क्या Pollen एलर्जी सिर्फ वसंत ऋतु में होती है?
नहीं, सूखे मौसम में भी पेड़ों और घास के सूक्ष्म परागकण हवा में रह सकते हैं और एलर्जी का कारण बन सकते हैं।
Q2. Dust Allergy से कैसे बचा जा सकता है?
घर की नियमित सफाई, मास्क का उपयोग, और एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करना कारगर उपाय हैं।
Q3. क्या एलर्जी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है?
एलर्जी का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को दवाओं और सावधानियों से नियंत्रित किया जा सकता है।
Q4. एलर्जी में कौन-सी दवा असरदार होती है?
Cetirizine, Levocetirizine जैसी एंटीहिस्टामिन दवाएं आमतौर पर उपयोग की जाती हैं।
Q5. क्या बच्चों को एलर्जी ज्यादा होती है?
हां, बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर होती है, जिससे वे धूल और पराग एलर्जी के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।