चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व होता है। उन्हें तपस्या, संयम, वैराग्य और ज्ञान की देवी माना जाता है। उनकी पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि, बुद्धि और आत्मबल की प्राप्ति होती है। खासकर विद्यार्थियों और ज्ञान के साधकों के लिए उनकी कृपा अत्यंत लाभकारी होती है।
माना जाता है कि इस दिन व्रत कथा सुनने और व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में धैर्य, आत्मसंयम और सहनशीलता बढ़ती है। इसीलिए नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की कथा पढ़ना या सुनना अति शुभ माना जाता है। इस लेख में हम मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के महत्व, व्रत कथा और पूजन विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
मां ब्रह्मचारिणी का दिव्य स्वरूप
मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप शांत, सौम्य और तेजस्वी है। उनके एक हाथ में जप माला और दूसरे हाथ में कमंडल होता है। वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनकी चाल मंथर और गंभीर होती है, जो धैर्य और ध्यान का प्रतीक है। उन्हें संयम और तप की देवी माना जाता है, जो अपने भक्तों को सहनशीलता, ज्ञान और आत्मबल प्रदान करती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी की व्रत कथा
मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या हजारों वर्षों तक चली, जिसमें उन्होंने अतुलनीय भक्ति और असीम धैर्य का परिचय दिया।
कठोर तपस्या का मार्ग:
- पहले हजार वर्षों तक उन्होंने केवल फल-फूल खाकर जीवन व्यतीत किया।
- अगले सौ वर्षों तक उन्होंने केवल शाक-भोजन किया।
- उन्होंने भीषण गर्मी, ठंड और वर्षा की परवाह किए बिना अपनी तपस्या जारी रखी।
- कई वर्षों तक उन्होंने केवल गिरे हुए बिल्व पत्र खाए।
- अंत में, उन्होंने भोजन और जल का भी त्याग कर दिया और केवल ध्यान और तपस्या में लीन हो गईं।
उनकी कठोर तपस्या से देवता, ऋषि-मुनि और सिद्धगण चकित हो गए। उनकी अटूट श्रद्धा और भक्ति से प्रसन्न होकर, उन्होंने मां ब्रह्मचारिणी को आशीर्वाद दिया कि भगवान शिव अवश्य उन्हें अपनी अर्धांगिनी रूप में स्वीकार करेंगे।
उनके अत्यधिक त्याग और तप के कारण उन्हें “अपर्णा” नाम से भी जाना जाने लगा, जिसका अर्थ है “जो पत्तों का भी सेवन नहीं करतीं”। अंततः भगवान शिव ने उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया, और वे मां पार्वती के रूप में पुनर्जन्म लेकर भगवान शिव की अर्धांगिनी बनीं।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजन विधि
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा सरल लेकिन अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इस पूजा को करने से धैर्य, आत्मसंयम और शक्ति की प्राप्ति होती है।
पूजा करने की विधि:
- प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
- मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
- मां को सफेद फूल, चावल और चंदन अर्पित करें।
- दूध, दही, शहद और पंचामृत का भोग लगाएं।
- मां को मिश्री और चीनी अर्पित करें, क्योंकि यह उन्हें अत्यंत प्रिय है।
- मां ब्रह्मचारिणी का निम्नलिखित मंत्र जपें:
मंत्र:
“ॐ ऐं सरस्वत्यै स्वाहा।”
“ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः।”
- अंत में आरती करें और परिवार की सुख-शांति एवं समृद्धि की प्रार्थना करें।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लाभ
- धैर्य, आत्मसंयम और सहनशक्ति को बढ़ाती है।
- विद्यार्थियों और ज्ञान के साधकों के लिए अत्यंत लाभदायक।
- मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
- वैवाहिक जीवन की समस्याओं को दूर करने में सहायक।
- मंगल दोष और ग्रहों की अशुभता को शांत करती है।
- जीवन में स्थिरता, आत्मविश्वास और सफलता प्रदान करती है।
निष्कर्ष
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और व्रत कथा का अत्यंत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। उनका तप और आत्मसंयम हमें धैर्य, आत्मविश्वास और संयम की प्रेरणा देता है। नवरात्रि के दूसरे दिन उनकी आराधना करने से ग्रहों की बाधाएं, विवाह की समस्याएं और मानसिक तनाव दूर होते हैं।
यदि आप भी मां ब्रह्मचारिणी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो श्रद्धा और भक्ति के साथ उनकी पूजा करें। उनकी कथा सुनने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, संयम और आत्मशक्ति का संचार होता है।
जय माता दी!
पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न:1 मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कौन कर सकता है?
उत्तर:1 कोई भी व्यक्ति, विशेष रूप से विद्यार्थी, साधक और संयम प्राप्त करने के इच्छुक भक्त मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कर सकते हैं।
प्रश्न:2 क्या इस दिन व्रत रखना अनिवार्य है?
उत्तर:2 व्रत रखना वैकल्पिक है और यह भक्त की श्रद्धा पर निर्भर करता है। यदि पूर्ण उपवास संभव न हो, तो फलाहार भी किया जा सकता है।
प्रश्न:3 मां ब्रह्मचारिणी को कौन से फूल चढ़ाए जाते हैं?
उत्तर:3 मां ब्रह्मचारिणी को सफेद फूल जैसे मोगरा, चमेली और सफेद गुलाब चढ़ाना शुभ माना जाता है।
प्रश्न:4 क्या मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से विवाह संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं?
उत्तर:4 हाँ, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
प्रश्न:5 क्या उनकी पूजा से मंगल दोष का निवारण हो सकता है?
उत्तर:5 हाँ, मां ब्रह्मचारिणी की आराधना करने से मंगल दोष और अन्य ग्रह बाधाओं को शांत किया जा सकता है।