Sam Bahadur: 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने सैम मानेकशॉ के सामने किया था आत्मसमर्पण, ऐसी है कहानी

Field Marshal Sam Manekshaw: विक्की कौशल की फिल्म सैम बहादुर का टीजर सामने आया। सैम के रोल में विक्की चमकते हैं।

Is Field Marshal Sam Manekshaw Who: 3 मई 1914 को सैम होर्मुजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ, भारत का पहला फील्ड मार्शल था। इस नाम से उन्हें कम ही पुकारा जाता था। सैन की पत्नी और उसके दोस्त आज हर अधिकारी उन्हें सैम, या “सैम बहादुर” कहते थे। 1942 में, सैम पहली बार प्रसिद्ध हुए जब एक जापानी सैनिक ने उसके गुर्दे, लीवर और आंतों को मशीन गन से सात बार गोली मार दी। जयंती पर उनके जीवन को पढ़ें।

और साहसिक कहानियां, जो बहुत दिलचस्प और प्रेरक हैं। अब सैम मानेकशॉ की जीवनी पर आधारित बोयोपिक में विक्की कौशल उनका किरदार निभाते हुए दिखाई देते हैं, जिसका टीजर हाल ही में सामने आया है. चलिए जानते हैं कि सैम मानेकशॉ, जो पाकिस्तान पर हमला कर चुका था, कौन है?

 

Samm Bahadur: 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने सैम मानेकशॉ के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, यह कहानी है
Field Marshal Sam Manekshaw: विक्की कौशल की फिल्म सैम बहादुर का टीजर सामने आया। सैम के रोल में विक्की चमकते हैं।
Publication: 14 अक्टूबर, 2023 को 4:01 PM IST

Is Field Marshal Sam Manekshaw Who: 3 मई 1914 को सैम होर्मुजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशॉ, भारत का पहला फील्ड मार्शल था। इस नाम से उन्हें कम ही पुकारा जाता था। सैन की पत्नी और उसके दोस्त आज हर अधिकारी उन्हें सैम, या “सैम बहादुर” कहते थे। 1942 में, सैम पहली बार प्रसिद्ध हुए जब एक जापानी सैनिक ने उसके गुर्दे, लीवर और आंतों को मशीन गन से सात बार गोली मार दी। जयंती के अवसर पर उनके जीवन और साहस की कहानियां पढ़िए, जो रोचक होने के साथ-साथ प्रेरक भी हैं। यही कारण है कि सैम मानेकशॉ की जीवनी पर बनी बोयोपिक में उनका विक्की कौशलकिरदार करते हुए नजर आ रहे हैं और इसका टीजर हाल ही में रिलीज़ हुआ है, तो चलिए जानते हैं कि सैम मानेकशॉ, जो पाकिस्तान को बर्बाद कर दिया था।

 

 

 

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पिता के खिलाफ सेना में शामिल होना

सैम 3 अप्रैल 1914 को अमृतसर में पैदा हुआ था। सैम का पिता डा. होर्मुसजी मानेकशॉ था। उन्होंने नैनीताल में प्रारंभिक शिक्षा के बाद हिंदू सभा कॉलेज में चिकित्सा की पढ़ाई की। जुलाई 1932 में, मानेकशॉ ने अपने पिता की अवज्ञा करते हुए भारतीय सैन्य अकादमी में दाखिला लिया. दो साल बाद, वे 4/12 फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट में शामिल हो गए, छोटी उम्र में युद्ध में शामिल होना पड़ा। उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध से अपनी सेवा शुरू की थी।और अपने पूरे करियर में उन्होंने पांच युद्धों में हिस्सा लिया।

 

द्वितीय विश्वयुद्ध में सात हथियार

सैम को अपने सैन्य करियर में कई चुनौतीओं का सामना करना पड़ा, क्योंकि उन्हें बहुत छोटी उम्र में युद्ध में शामिल होना पड़ा था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दूसरे विश्व युद्ध में सैम को सात गोलियां लगी थीं। हर कोई उनके बचने की उम्मीद करता था। उसके जीवन को डॉक्टरों ने समय रहते सभी गोलियां निकाल दीं।

 

सैम की प्रतिक्रिया सुनकर इंदिरा गांधी हैरान रह गईं।

इंदिरा गांधी और सैम मानेकशॉ की ये कहानी इतिहास में अमर है। 1971 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान पर हमला करना चाहा, लेकिन जनरल सैम ने ऐसा नहीं किया।पाकिस्तान के साथ युद्ध करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। सैम ने इंदिरा गांधी को बताया कि हमारी सेना इस बार युद्ध करने के लिए तैयार नहीं है। सैन्य प्रशिक्षण के लिए समय चाहिए। इंदिरा गांधी ने यह सुनकर सेना में प्रशिक्षण लिया और 1971 में सैम के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को हराया।

 

 

जब मानेकशॉ ने पाकिस्तान को दो टुकड़े कर दिया

सैम ने 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्ध के दौरान इतनी तूती बोली कि कोई भी उसे नहीं सुन पाया। सैम मानेकशॉ, जिन्होंने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को विभाजित किया, सबसे बड़ा हीरो थे।। आर्देशिर कावसजी ने एक विदेशी अखबार को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान को दो भागों में बांटने की कहानी बताई।उस जंग में 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भी अपनी जान दी।

 

फील्ड मार्शल पुरस्कार से सम्मानित पहला भारतीय जनरल

सैन मानेकशॉ को अपने सैन्य करियर के दौरान बहुत सम्मान मिला। 59 साल की उम्र में वे फील्ड मार्शल की उपाधि से सम्मानित हुए।वह पहले भारतीय जनरल थे जिन्होंने यह सम्मान प्राप्त किया था। 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित हुए। 1973 में एक साल बाद वे आर्मी चीफ पद से रिटायर हुए। सेवानिवृत्त होने पर वेलिंगटन चले गए,2008 में वेलिंगटन में उनकी अंत्येष्टि हुई।

 

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