Chhath Puja 2023: इस वर्ष कब है छठ पूजा? जानें- शुभ तिथि एवं धार्मिक महत्व

Aman

Chhath Puja 2023: इस वर्ष कब है छठ पूजा? जानें- शुभ तिथि एवं धार्मिक महत्व

Chhath Puja 2023 छठ पूजा की शुरुआत नहाय काया से होती है। इस दिन श्रद्धालु स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले सूर्य देव को जल चढ़ाते हैं। इसके बाद रीति रिवाज के अनुसार सेवा होती है। पूजा पूरी करने के बाद वह सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं।

Chhath Puja 2023:  सनातन पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आस्था का महापर्व छठ मनाया जाता है। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अगले दिन उगते सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इसके अगले दिन खरना मनाया जाता है। इस दिन व्रती दिनभर उपवास कर शाम में पूजा करने के पश्चात प्रसाद ग्रहण करती हैं। इसके पश्चात लगातार 36 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं। सनातन धर्म में छठ पूजा का विशेष महत्व है। महाभारत काल में द्रौपदी भी छठ पूजा करती थीं। धार्मिक मान्यता है कि छठ पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वर्तमान समय में छठ पूजा बिहार समेत देश विदेश में मनाई जाती है। आइए, छठ पूजा की शुभ तिथि एवं धार्मिक महत्व जानते हैं

शुभ मुहूर्त

19 नवंबर, 2023 सूर्यास्त का समय: शाम 5 बजकर 26 मिनट

20 नवंबर, 2023 सूर्योदय का समय: सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर

छठ पूजा 2023

17 नवंबर, 2023 : नहाय खाय

18 नवंबर, 2023 : खरना

19 नवंबर, 2023 – छठ पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य

20 नवंबर, 2023 – उगते हुए सूर्य को अर्घ्य, छठ पूजा का समापन और पारण

नहाय खाय

छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इस दिन व्रती स्नान ध्यान के बाद सर्वप्रथम सूर्य देव को जल अर्पित करती हैं। इसके पश्चात विधि विधान से पूजा करती हैं। पूजा समापन के पश्चात सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। इस दिन लौकी की सब्जी खाना अनिवार्य है। अतः व्रती चावल-दाल के साथ लौकी की सब्जी जरूर खाती हैं।

खरना

छठ पूजा के दूसरे दिन खरना मनाया जाता है. इस दिन व्रती ब्रह्म बेला में उठकर सूर्य देव की पूजा करके दिन की शुरुआत करते हैं। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद वह गंगाजल युक्त जल से स्नान करती हैं। जब यह उनके अनुकूल होता है, तो वे आत्मविश्वास के साथ नदियों और झीलों में गोता लगाते हैं। फिर वह विधि-विधान से पूजा के बाद व्रत रखती हैं। पूरे दिन जल-मुक्त रहता है। रात्रि में छठ कुल के लोग देवी-देवताओं के समक्ष मैया की पूजा करते हैं और भोजन करते हैं। पूजा के दौरान खीर पूड़ी का प्रसाद चढ़ाया जाता है. खीर खाने के बाद व्रती अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं. खरना की रात छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है.

डूबते सूर्य को अर्घ्य
कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठी मैया और सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।

अर्घ्य उगते सूर्य की ओर देखता है
छठ पूजा चौथे दिन समाप्त होती है. इस दिन सूर्योदय के समय अर्घ्य समर्पित किया जाता है।

डिसक्लेमर – इस लेख में मौजूद जानकारी, सामग्री या गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धार्मिक ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचायी गयी हैं। हमारा लक्ष्य केवल जानकारी प्रदान करना है और उपयोगकर्ताओं को इसे ध्यान में रखना चाहिए। उपयोगकर्ता अपने उपयोग के लिए भी स्वयं जिम्मेदार है।

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