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वक्फ संशोधन विधेयक 2025: नया कानून या अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला?

By: rishabh

On: Thursday, April 3, 2025 4:46 AM

वक्फ संशोधन विधेयक 2025: नया कानून या अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला?
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गुरुवार तड़के लोकसभा में 12 घंटे की लंबी बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पारित हो गया। आधी रात के बाद भी सरकार और विपक्ष के बीच जोरदार बहस जारी रही, लेकिन अंततः सरकार के संख्यात्मक बहुमत ने बाजी मार ली। सुबह करीब 2 बजे यह विधेयक 288-232 के अंतर से पास हुआ। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा, जहां एक और कड़ी बहस की संभावना है।

विधेयक में क्या बदलाव किए गए हैं?

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वक्फ (संशोधन) विधेयक का उद्देश्य 1995 के मौजूदा वक्फ कानून में संशोधन करना है। हालांकि, इसमें कुछ ऐसे प्रावधान जोड़े गए हैं, जिन पर विपक्ष ने कड़ी आपत्ति जताई है। इनमें प्रमुख हैं:

  1. वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्य नियुक्ति।
  2. सिर्फ वे लोग ही अपनी संपत्ति वक्फ कर सकते हैं, जिन्होंने कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन किया हो।
  3. यदि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में चिन्हित की जाती है, तो वह सरकार की नहीं मानी जाएगी। स्थानीय कलेक्टर ही तय करेंगे कि वह संपत्ति किसकी होगी।

विपक्ष का विरोध और आरोप

कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने इस विधेयक को संविधान के खिलाफ बताया और सरकार पर अल्पसंख्यकों के अधिकार छीनने का आरोप लगाया। विपक्ष का कहना है कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने इस विधेयक की जांच करते समय उनकी राय को नजरअंदाज किया।

कांग्रेस ने इस विधेयक को “अल्पसंख्यकों को बदनाम और बेदखल करने की साजिश” करार दिया और इसे “संविधान पर 4D हमला” बताया। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गांधीजी का उदाहरण देते हुए इस कानून की एक प्रति को फाड़ने की धमकी दी, ठीक वैसे ही जैसे महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश कानून के खिलाफ किया था।

सरकार की दलील

सरकार ने विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह विधेयक धर्म नहीं बल्कि संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़ा हुआ है।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “कांग्रेस की तुष्टिकरण नीति के कारण वक्फ संपत्तियों में भारी अनियमितताएँ हुई हैं।” इस विधेयक के जरिए महिलाओं और बच्चों को भी इसका लाभ मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक गैर-मुस्लिम समुदायों के लोगों से सलाह लेने के बाद तैयार किया गया है और इसे गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का समर्थन प्राप्त है।

विपक्ष पर हमला

अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा कि 2013 में किए गए संशोधन के कारण ही आज इस विधेयक की जरूरत पड़ी।

उन्होंने कहा, “2013 में कांग्रेस ने एक कट्टरपंथी वक्फ कानून को रातोंरात लागू कर दिया था। इसके चलते दिल्ली के लुटियंस जोन की 123 संपत्तियाँ चुनाव से मात्र 25 दिन पहले वक्फ बोर्ड को सौंप दी गईं।”

उन्होंने कई ऐसे उदाहरण दिए जहां वक्फ संपत्तियों को लेकर विवाद हुआ:

  • दिल्ली के लुटियंस ज़ोन में सरकारी ज़मीनें वक्फ बोर्ड को सौंप दी गईं।
  • तमिलनाडु में एक 400 साल पुराने मंदिर की ज़मीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया।
  • प्रयागराज का चंद्रशेखर आजाद पार्क भी वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया था।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

विधेयक के कुछ मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:

  • केवल मुस्लिम ट्रस्ट ही वक्फ नहीं होंगे – अब मुस्लिम ट्रस्टों को किसी भी अन्य कानून के तहत संचालित किया जा सकता है, न कि केवल वक्फ कानून के तहत।
  • सिर्फ वे ही लोग संपत्ति वक्फ कर सकते हैं, जिन्होंने कम से कम 5 साल तक इस्लाम का पालन किया हो।
  • महिलाओं को संपत्ति विरासत में मिलनी चाहिए, इससे पहले कि उसे वक्फ संपत्ति घोषित किया जाए। विधेयक में विधवाओं, तलाकशुदा महिलाओं और अनाथों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
  • सरकारी संपत्तियों की जांच – यदि किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दावा किया जाता है, तो एक कलेक्टर स्तर का अधिकारी इसकी जांच करेगा।
  • विवादों का निपटारा – वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों का निपटारा अब वक्फ ट्रिब्यूनल के बजाय वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
  • वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल किया जाएगा ताकि अधिक समावेशिता सुनिश्चित की जा सके।

विपक्षी दलों की कड़ी प्रतिक्रिया

कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने इस विधेयक को संविधान पर हमला बताया और कहा कि “इसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों को बदनाम करना और भारतीय समाज को बांटना है।”

शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने केंद्र सरकार पर अल्पसंख्यकों को विभाजित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “बीजेपी के पास संसद में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है, फिर भी आज उन्हें मुस्लिमों की याद क्यों आ रही है?

उन्होंने उत्तर प्रदेश का उदाहरण देते हुए कहा, “वक्फ की 27% संपत्तियाँ यूपी में हैं और वहाँ डेढ़ साल में चुनाव होने वाले हैं। इससे साफ है कि यह राजनीति से प्रेरित कदम है।

वक्फ विधेयक का भविष्य और संभावित विरोध

विपक्षी दलों और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस विधेयक को चुनौती देने की चेतावनी दी है।

AIMPLB ने कहा है कि “हम इस विधेयक के खिलाफ अदालत में जाएंगे।” इसके अलावा उन्होंने देशभर में प्रदर्शन करने की भी योजना बनाई है।

हम किसानों की तरह देशव्यापी आंदोलन करेंगे। जरूरत पड़ी तो सड़कों को भी जाम करेंगे और शांतिपूर्ण तरीकों से इस विधेयक का विरोध करेंगे,” AIMPLB के प्रवक्ता मोहम्मद मोहसिन ने कहा।

निष्कर्ष

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने हैं।

  • सरकार इसे “संपत्तियों के सही प्रबंधन का जरिया” बता रही है, जबकि
  • विपक्ष इसे “अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला” मान रहा है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विधेयक राज्यसभा में पारित होता है या नहीं। इसके साथ ही, क्या इस पर देशव्यापी विरोध प्रदर्शन होते हैं? इन सवालों के जवाब आने वाले दिनों में मिलेंगे।

वक्फ संशोधन विधेयक पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न उत्तर

Q. वक्फ संशोधन विधेयक 2025 क्या है?

A. यह विधेयक 1995 के वक्फ कानून में संशोधन करता है और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े नए प्रावधान जोड़ता है।

Q. इस विधेयक में सबसे विवादास्पद प्रावधान क्या हैं?

A. गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड में शामिल करना, केवल 5 साल तक इस्लाम का पालन करने वालों को वक्फ संपत्ति दान करने की अनुमति, और सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने पर प्रतिबंध।

Q. विपक्ष इस विधेयक का विरोध क्यों कर रहा है?

A. विपक्ष का दावा है कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करता है और संविधान के खिलाफ है।

Q. सरकार इस विधेयक का समर्थन क्यों कर रही है?

A. सरकार का कहना है कि यह संपत्तियों के सही प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए जरूरी है और इससे महिलाओं और वंचित वर्गों को लाभ मिलेगा।

Q. क्या यह विधेयक अब कानून बन गया है?

A. नहीं, अभी यह लोकसभा में पारित हुआ है और इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही यह कानून बनेगा।

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